Message from Principle

गत तीन दशक से अधिक का समय शिक्षा की आवश्यकता, समस्या समाधान एवं प्रगति का मंथन करके काट दिया। इस बीच अनेक अच्छे बुरे सोपान चढ़ने उतरने के लिए वाध्य होना पड़ा भावनात्मक उद्दीपनों का वशीभूत हो जीवन शैली, कार्य शैली में बदलाव लाकर सर्वसुलम एवं सर्व जन हितकारी शिक्षा की लक्षपूर्ति हेतु प्रयास रत हुआ वर्तमान में शिक्षा जगत में अति संक्रमणीय समय चल रहा है जब अभिभावक उच्च शैक्षणिक माहौल एवं उच्च प्राप्त अंक प्रतिशत के मध्य अनिर्णीत की स्थिति में हैं। एक तरफ ज्ञान प्राप्ति हेतु कठिन तप दूसरी तरफ अच्छे अंक प्राप्ति हेतु तिकड़म, कौन किसको चुनता है यह व्यक्ति की सोंच पर निर्भर करता है परन्तु भावनाएं कुदेरने पर ज्ञात हुआ कि प्रत्येक व्यक्ति अपने लाड़ले को संस्कारित सुशिक्षा दिला कर ज्ञानवान एवं नैतिक बनाना चाहता है तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार खर्च करता है. अपेक्षित परिणाम न मिलने पर शिक्षण संस्थाओं के प्रति झुंझलाहट, रोश एवं अविश्वास कर अनिर्णीत स्थिति में पहुँचकर अरूचि कर बैठता है। निराशा से लक्षपूर्ति सम्भव नहीं अतः आशावान बन शिक्षालयों का माहौल निर्मल करने में सहयोगी बनें। बालक के विकास की तीनों कड़ियों (अध्यापक, अभिभावक एवं वातावरण) को एक में पिरोकर रखने का प्रयास एवं बालक को संलक्षित शिक्षा हेतु प्रेरित करें। समस्या एवं समाधान के लिए विद्यालय के साथ सहभाग करें।


हम सदैव आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

-प्रधानाचार्य विवेक सिंह